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उत्तराखंड: निकाय चुनाव क्यों नहीं करा रही सरकार, कितना करना पड़ेगा इंतजार?

उत्तराखंड: निकाय चुनाव क्यों नहीं करा रही सरकार, कितना करना पड़ेगा इंतजार?

देहरादून: उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव बार-बार टाले जा रहे हैं। मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा। हाईकोर्ट ने भी सरकार को समय से चुनाव कराने को कहा, लेकिन सरकार ने अपनी मजबूरियां गिनाकर चुनाव को टाल दिया।

नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में प्रशासकों का कार्यकाल बार-बार बढ़ाया जा रहा है। लेकिन, अब तक सरकार चुनाव कराने की तैयारियों को अंतिम रूप नहीं दे पाई है।

इस बीच राज्य में पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। सरकार ने पंचायतों में भी प्रशासक नियुक्त कर दिए। पहले एक ही सवाल था कि निकाय चुनाव कब होंगे? अब एक और सवाल यह खड़ा गया है कि ग्राम पंचायतों के चुनाव कब होंगे?

नगर निकाय चुनाव को लेकर बार-बार अटकलें लगाई जा रही हैं कि चुनाव कब होंगे? अब भी यह सवाल बना हुआ है। पहले माना जा रहा था कि चुनाव लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद कराए जा सकते हैं। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। सरकार ने लोकसभा चुनाव में व्यस्तता का हवाला देकर निकाय चुनाव को टाल दिया।

लोकसभा चुनाव निपटते ही फिर चर्चाओं का दौर शुरू हुए कि चुनाव अब जल्द हो सकते हैं। इस बीच बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। अटकलें लगाई जा रही थी कि भाजपा चुनाव जीत जाएगी और चुनाव परिणाम के बाद निकाय चुनाव हो सकते हैं। लेकिन, दोनों ही सीटें भाजपा हार गई। ऐसे में चुनाव की चर्चा फिर ठंडे बस्ते में चली गई।

इस दौरान सरकार बार-बार तैयारियों का हवाला देकर चुनाव को टालती रही। फिर कहा जाने लगा कि केदारनाथ चुनाव परिणाम आने के बाद निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।

अब फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि सरकार नगर निकायों के चुनाव दिसंबर माह में ही करा सकती है। लेकिन, चुनाव होंगे या नहीं, यह तभी साफ हो पाएगा, जब तारीखों को ऐलान हो जाएगा।

शहरी विकास विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी तेज कर दी हैं। इस सप्ताह ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी भी मिल सकती है।

नगर निकाय चुनावों के लिए कुछ प्रक्रियाएं अभी बाकी हैं। इनमें पहली है अध्यादेश पर फैसला। शासन ने ओबीसी आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश राजभवन को भेजा है, जिस पर इस सप्ताह राजभवन मंजूरी दे सकता है।

अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद ओबीसी आरक्षण की नियमावली पर निर्णय होगा। मुख्यमंत्री को इस पर अनुमोदन देना है। नियमावली आने के बाद आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया जिलाधिकारियों के स्तर से होगी।

इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करेगा। बताया जा रहा है कि 15 दिसंबर के आसपास अधिसूचना जारी हो सकती है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में चुनाव कराने की योजना पर काम चल रहा है।

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