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उत्तराखंड: 42 तक इंतजार करती रही पत्नी, 56 साल बाद मिला पार्थिव शरीर, आज हुआ अंतिम संस्कार

उत्तराखंड: 42 तक इंतजार करती रही पत्नी, 56 साल बाद मिला पार्थिव शरीर, आज हुआ अंतिम संस्कार

चमोलीः पत्नि पति का 42 सालों तक इंतजार करती रही। राह देखते-देखते आंखें पथरा गई। अपने पति नारायण सिंह का इंतजार करते-करते उनकी मौत हो गई, लेकिन उनका पति को जिंदा या तिरंगे में पिटले देखने की इच्छा पूरी नहीं हो पाई। 56 साल बाद वीमान हादसे में शहीद हुए नारायण सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा। जहां उनको अंतिम सलामी दी गई।

चमोली जिले के थराली तहसील के कोलपुड़ी गांव के लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद अपने गांव और घर पहुंचा। सिक्स गनेडियर रुद्रप्रयाग की बटालियन ने पार्थिव शरीर को गौचर हेलीपैड पर सलामी दी। गौचर से पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया गया। और आज पार्थिव शरीर की थराली कोलपुड़ी उनको पूरे गांव ने अंतिम विदाई दी।

1968! आज से ठीक 56 साल पहले। हिमाचल में एक मिशन पर निकला एयर फोर्स का एक विमान हादसे का शिकार हो गया था। इसमें सेना के जवान शहीद हो गए थे। कुछ के शव बरामद हो गये थे, जबकि कुछ के शव नहीं मिल पाए थे। लेकिन, अब 56 साल बाद चार जवानों के शव मिले हैं, जिनमें एक उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायण सिंह का शव भी शामिल है।

चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के लापता सैनिक की पार्थिव देह 56 साल बाद अपने गांव पहुंचेगी। गांव के नारायण सिंह वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर लापता हो गए थे। 56 साल बाद जिन चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं, उनमें एक कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का शव भी शामिल है।

कोलपुड़ी गांव के प्रधान और नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि सोमवार को सेना के अधिकारियों ने सूचना दी उनकी पहचान हो जाने की सूचना दी। उन्होंने बताया कि जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज था। साथ ही उनकी वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था।

सेना के अधिकारियों ने जयवीर सिंह को बताया कि बर्फ में शव सुरक्षित था, लेकिन बर्फ से बाहर निकालने के बाद शव गलने लगा है, जिससे उसे सुरक्षित किया जा रहा है। साथ ही उनका डीएनए सैंपल लिया जा रहा है।

जयवीर सिंह बोले कि माता बसंती देवी ने बताया था कि पति नारायण सिंह सेना में तैनात थे। वह साल में एक बार घर आते थे, अक्सर पत्रों से ही हाल पता लगता था। एक बार एक टेलीग्राम आया जिसमें अंग्रेजी में विमान के लापता होने और उसमें नारायण सिंह के लापता होने की बात लिखी थी। उसके बाद परिजन इंतजार करते रहे लेकिन कोई खबर नहीं आई। मां जब तक जिंदा थी नारायण सिंह का इंतजार करती रहीं। वर्ष 2011 में बसंती देवी की मृत्यु हो गई।

भारतीय सेना के एक अभियान दल ने 1968 में हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हुए AN-12 विमान के मलबे से चार सैनिकों के पार्थिव अवशेष बरामद किए हैं। भारतीय वायु सेना (IAF) का यह विमान 102 सैन्यकर्मियों को लेकर चंडीगढ़ से लेह की उड़ान पर था, जब पांच दशक पहले यह दुर्घटना हुई थी। इस खोज की जानकारी मिली है। यह दल लाहौल-स्पीति में बटाल के पास CB-13 (चंद्रभागा-13 चोटी) के सुदूर और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में पर्वतारोहण अभियान चला रहा था।

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