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उत्तराखंड: सच साबित हुई बाबा बौखनाग की बात, तीसरे दिन बाहर निकले मजदूर!

उत्तराखंड: सच साबित हुई बाबा बौखनाग की बात, तीसरे दिन बाहर निकले मजदूर!

उत्तराखंड: सच साबित हुई बाबा बौखनाग की बात, तीसरे दिन बाहर निकले मजदूर!

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे में जितनी चर्चा रेस्क्यू अभियान को पूरा करने के लिए किए गए प्रयासों की हुई। उतनी ही चर्चा बाबा बौखनाग की शक्ति की भी हुई। आज से तीन दिन पहले लोग बाबा बौखनाग के दरबार भाटिया गांव में गए थे। तब बाबा ने बचन दिया था कि तीसरे दिन सभी मजदूर बाहर आएंगे।

आज तीसरा दिन है। बाबा बौखनाग की बात भी सही साबित हुई। रेस्क्यू में जब अड़चनें आने लगी तो आस्था से ज्यादा विज्ञान पर भरोसा करने वाले एक्सपर्ट और अधिकारी, कर्मचारी भी आस्था के आगे नतमस्तक होते नजर आए। टनल एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स भी बाबा के आगे घुटनों पर सजदा करते नजर आए।

आज सुबह भी जब रैट माइनर्स ने टपन में खुदाई शुरू की। जब सभी लोग टनल के आसपास घूमते नजर आए, तब डिक्स टनल के बाहर बने बाबा बौखनाग के छोटे से मंदिर के आगे सुबह से पूजा करते हुए नजर आए। जैसे ही उनको पाइप के आर-पार होने की खबर मिली, उसके बाद ही डिक्स वहां से उठे।

बाबा बौखनाग की क्षेत्र में पहले ही मान्यता है। इस पूरे मामले के बाद से बाबा बौखनाग की चर्चा देश-दुनिया में होने लगी है। क्षेत्र में लोग बाबा को पूछने के बाद ही अपने काम शुरू करते हैं।

पहाड़ों के बीचों-बीच बाबा बौखनाग का मंदिर है यहां हर साल मेला लगता है। मान्यता है कि नवविवाहित और निसंतान लोग सच्चे मन से और नंगे पैर इस त्योहार में भाग लेते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई थी।

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण टिहरी जिले के सेम मुखेम से आए थे, इसलिए हर साल सेम मुखेम और बौखनाग  टिब्बा के राड़ी में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। बौखनाग मंदिर में रात को जागरण होता है। राड़ी कफनौल राजमार्ग के पास बाबा बौखनाग का मंदिर 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए 4,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

ग्रामीणों का कहना है कि ये मंदिर जहां स्थित है। उसके ठीक नीचे से ही सुरंग गुजर रही है। ऐसे में उनकी पूंछ के नीचे से सुरंग का गुजरना अहितकारी हो सकता है। एक पुजारी ने बताया कि बाबा बौखनाग का शुद्ध नाम वासुकीनाग है। ये नाग देवता के वाण ग्राम सभा और गिनोटी ग्राम सभा एक ही थे। सहजू नाम का एक लौहार था।

उसके सपने में ये देवता नजर आए थे। उनके सपने में नरसिंह देवता आते थे। उस आदमी के नाती-पोते सिल्क्यारा बेंड में हैं। दो साल पहले उन्होंने बताया कि उनके दादा पर नरसिंह देवता आते थे। नरसिंह देवता उतरकर आए हैं। उन्होंने कहा कि गांव में उनके पिता और बाबा घास लगा रहे थे तो नरसिंह देवता ने उन्हें नीचे बुलाया कि पंडित जी नीचे आओ। उन्होंने पूछा कि कैसे आना हुआ तो नरसिंह देवता ने कहा कि देवता सपने में आए हैं।

स्थानीय लोगों का दावा है कि सिल्क्यारा टनल के निर्माण के दौरान बिल्डर्स ने बाबा बौखनाग के प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया। इस कारण बाबा बौखनाग नाराज हो गए, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ। जब हादसा हुआ और सुरंग में फंसे मजदूरों को निकलाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया तो बार-बार ऑपरेशन में बहुत सी दिक्कतें आईं। इस बीच भूस्खलन के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना भी पड़ा। कभी मशीन खराब हो गई तो कभी पत्थर के कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा। जब जब प्रयास विफल हुए तो निर्माण कंपिनयों के अधिकारियों ने बाबा बौखनाग से माफी मांगी।

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