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उत्तराखंड: हवाई दावे, नहीं मिली मुफ्त किताबें, क्या पढेंगे, कैसे पढ़ाएंगे…?

उत्तराखंड: हवाई दावे, नहीं मिली मुफ्त किताबें, क्या पढेंगे, कैसे पढ़ाएंगे…?

उत्तराखंड: हवाई दावे, नहीं मिली मुफ्त किताबें, क्या पढेंगे, कैसे पढ़ाएंगे…? पहाड़ समाचार editor

देहरादून: हर बार की तरह इस बार भी नया शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद अब तक स्टूडेंट्स को मुफ्त किताबें नहीं मिली है। स्टूडेंट और टीचर स्कूल तो आ रहे हैं, लेकिन जब किताबें ही नहीं, तो बच्चे पढ़ें क्या और टीचर पढ़ाए क्या? शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी गलती को सुधारने के बजाय अब शिक्षकों को वेबसाइट से पढ़ने का फरमान सुना रहे हैं। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि जिन जगहों पर नेटवर्क ही बड़ी मुश्किल से आते हैं। वहां, वेबसाइट से कैसे पढ़ाया जाएगा?

सरकारी और अशासकीय स्कूलों के कक्षा एक से 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं को शिक्षा सत्र शुरू होने पर एक अप्रैल से मुफ्त किताबें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन 18 दिन के बाद भी अब तक किताबें नहीं मिली हैं।

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विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव डॉ. नीता तिवारी की ओर से सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को दिए निर्देश में कहा गया है कि राज्य में एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकें लागू हैं। एनसीईआरटी के निर्णय के आलोक में उत्तराखंड में भी 10वीं और 12वीं स्तर पर विभिन्न विषयों की पाठ्य सामग्री को रेशनलाइज करने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मिलने वाली मुफ्त किताबों की सप्लाई शुरू हो गई है, मई महीने तक सभी छात्र-छात्राओं को किताबें मिल जाएंगी, पाठ्यसामग्री के लिए शिक्षक खुद ही वेबसाइट देख लेते हैं।

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फिलहाल इसकी प्रक्रिया चल रही है, जिसके बाद विभिन्न विषयों की रेशनलाइज पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें कहा गया है कि जब तक किताबें नहीं आती हैं, तब तक छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए एनसीईआरटी की ओर से सत्र 2023-24 के लिए निर्धारित पाठ्य सामग्री का अवलोकन उसकी वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में करीब 11 लाख छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें मिलनी हैं। नियमानुसार एक अप्रैल तक किताबें मिल जानी चाहिए थीं। शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत का कहना है कि अगले साल से इस तरह की दिक्कत न हो इसके लिए हर स्कूल में बुक बैंक बनाए जाएंगे।

उत्तराखंड: हवाई दावे, नहीं मिली मुफ्त किताबें, क्या पढेंगे, कैसे पढ़ाएंगे…? पहाड़ समाचार editor

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