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उत्तराखंड : UKSSSC की पुरानी कहानी, नकलची पकड़े और छोड़ दिए, पहले वालों पर बैन लगाते तो…!

देहरादून: उत्तराखड अधीनस्त चयन सेवा आयोग (UKSSSC) भर्ती पेपर लीक मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कड़क फैसले पर STF जोरदार एक्शन कर रही है। मामले में जिस-जिस का नाम भी सामने आया, पुख्ता प्रमाण जुटाकर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। लेकिन, इससे पहले भी आयोग (UKSSSC) की पिछली भर्तियों में हुई गड़बड़ी के बाद परीक्षाएं भी रद्द हुई। लेकिन, नकल माफिया और नकलची भी साफ बच गए।

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लोगों का कहना है कि नकल माफिया और नकल करने वालों को ऐसा सबक मिलना चाहिए कि वो फिर से इस तरह के कामों के बारे में सोच भी ना सके। ऐसे लोगों को बड़ी सजा की मोंगे भी उठ रही हैं। इसके लिए जांच एजेंसी को पुख्ता प्रमाण और कड़े कानूनों के तहत एक्शन लेना चाहिए।

 

अमर उजाला के अनुसार भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने मुकदमा तो दर्ज करा दिया, लेकिन इस मामले में शामिल अभ्यर्थियों पर कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं कर पाया। स्थिति यह है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में दस साल के प्रतिबंध का निर्णय लेने के बावजूद आयोग इसे लागू नहीं करवा पाया। माना जा रहा है कि इससे नकल कराने वाला गिरोह आगे बढ़ता चला गया।

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आयोग ने वर्ष 2020 में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा कराई। हरिद्वार के सात केंद्रों पर बड़े पैमाने पर ब्लुटूथ से नकल का मामला सामने आया। पुलिस की जांच में 47 अभ्यर्थियों पर मुकदमा दर्ज किया गया। आयोग ने सात केंद्रों की परीक्षा रद करने के बाद दोबारा परीक्षा कराई। इसके साथ ही निर्णय लिया कि नकल करते पकड़े गए छात्रों को आयोग की परीक्षाओं से दस साल के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा, लेकिन यह निर्णय कभी लागू नहीं किया जा सका।

2016 में आयोग ने VPDO भर्ती परीक्षा कराई। इसमें 196 अभ्यर्थी पास हुए, लेकिन परीक्षा विवादों में घिर गई। ओएमआर शीट से छेड़छाड़ के तथ्य सामने आने के बाद परीक्षा रद हुई और दोबारा कराई गई। मामले में विजिलेंस ने मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन आयोग के स्तर चिन्ह्ति परीक्षार्थियों को प्रतिबंधित करने जैसा कोई सख्त फैसला नहीं लिया गया।

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UPCL और PTCUL में JE के 252 पदों पर भर्ती के लिए आयोग ने 2017 में परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा में रुड़की के एक ही कोचिंग सेंटर के 65 अभ्यर्थी पास हो गए थे। मामले में आयोग ने जांच बैैठाई थी। दोबारा परीक्षा कराई गई लेकिन अभ्यर्थियों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने के बाद भी उसे अमल में नहीं लाया जा सका।

इन पर हुई कार्रवाई

  • प्रमाणपत्र सत्यापन में एक छात्र के फर्जी दस्तावेज पकड़े गए, जिसे आयोग की परीक्षा से
    डिबार किया गया।
  • LT भर्ती में सॉल्वर गैंग की मदद से परीक्षा देने वाले 12 अभ्यर्थियों को प्रतिबंधित
    किया गया।
  • परीक्षा केंद्र से OMR शीट की तस्वीर लेने वाले एक छात्र को आयोग की परीक्षाओं से प्रतिबंधित कर दिया गया।

UPCL, UJVNL में टेक्निकल ग्रेड-2 (TG-2) के पदों पर भर्ती के लिए आयोग ने 2017 में परीक्षा कराई। इसका रिजल्ट आयोग ने 2020 में जारी किया और प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया। एक विधायक की शिकायत के बाद कोषागार में रखी हुई ओएमआर और उनकी कॉपी की जांच कराई गई। पता चला कि छह ओएमआर से छेड़छाड़ हुई थी। मामले में आयोग ने मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन परीक्षा से प्रतिबंधित करने का निर्णय लागू नहीं कर पाया।

कर्मचारी चयन आयोग (SSC), नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) जैसी तमाम संस्थाएं ऐसी हैं जो नकल करते पकड़े जाने पर अभ्यर्थियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती हैं। नीट का पेपर लीक होने के बाद नकलची छात्रों को आगामी परीक्षाओं से डिबार करते हुए उनकी सूची भी जारी की गई थी। एसएससी भी ऐसे उम्मीदवारों को परीक्षा से पांच से दस साल के लिए प्रतिबंधित करता आया है।

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