अल्मोड़ा: आईएमए की पासिंग आउट परेड के दिन कई कहानियां जानने को मिलती हैं। सेना से जुड़ी पीढ़ियों की परंपरा के साथ ही कुछ ऐसी मिसालें भी होती हैं, जो युवाओं को प्रेरणा देती हैं। उत्तराखंड सैन्य परंपरा वाला राज्य है। यहां एक ही परिवार से कई-कई पीढ़ियां सेना का गौरव बढ़ा रहे हैं और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं।

ऐसी ही एक कहानी अल्मोड़ा के सेना में लेफ्टिनेंट बने सचेंद्र पंवार और उनके दादा चंदन पंवार की है। सचेंद्र आईएमए से पास आउट होकर सेना में अफसर बन गए हैं। सचेंद्र से पहले उनके दादा चंदन पंवार सेना में सुबेदार रहे। 28 साल सेना में सेवा की। वे भारतीय सेना में 1956 में कुमाऊं रेजीमेंट की फोर कुमाऊं बटालियन में भर्ती हुए थे।

गोलनाकरड़िया निवासी सचेंद्र के पिता यशवंत सिंह पंवार अल्मोड़ा में बजाज एलाएंज कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। माता दीपा पंवार गृहणी हैं। सचेंद्र के दादा सेवानिवृत्त सूबेदार चंदन सिंह पंवार ने बताया कि उनके लिए यह पल बेहद भावुक करने वाला है।

28 साल तक भारतीय सेना में सूबेदार रैंक तक की सेवा दी। उन्होंने बताया कि अब उनका पोता भारतीय सेना का हिस्सा बन गया है। उनका सीना गर्व से ऊंचा हो गया है। सचेंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा, माता-पिता एवं गुरुजनों को दिया है।

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