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उत्तराखंड: परिजन समझे निकल गए प्राण, रिश्तेदारों को दे दी थी सूचना, डॉक्टरों ने लौटा दी सांसें

पिथौरागढ़: डॉक्टरों को ऐसे ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता। कई ऐसे मौके आते हैं, जब लोग जीवन की उम्मीद छोड़ देते हैं, तब डॉक्टर उनकी सांसें लौटा देते हैं। जिसको चमत्कार कहा जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि मेडिकल साइंस और डॉक्टरों ने कई बार यह साबित किया है कि उनको धरती का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता।

गंगोलीहाट से उपचार के लिए जिला अस्पताल में आई एक बुजुर्ग महिला को चिकित्सकों की टीम ने कार्डियो पल्मोनरी रेसुसिटेशन () देकर नया जीवन दिया है। जबकि सांसें थम जाने पर परिजनों ने महिला को मृत मान लिया था और अन्य लोगों को भी फोन कर उनको मृत बता दिया था। लेकिन, तभी डॉक्टरों ने कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं थी।

डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया और कुछ ही देर में बुजुर्ग महिला की सांसें लौट आई और धड़कनें चलने लगीं। ग्राम चहज निवासी प्रकाश चंद्र जोशी शनिवार को अपनी पत्नी उषा जोशी के साथ मां बसंती देवी (75) को गंभीर हालत में 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर आए। महिला को 20 दिन से शरीर में सूजन और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

डॉक्टर इमरजेंसी में महिला के उपचार में लग गए लेकिन कुछ देर बाद उनकी मां की सांसें एकदम थम गईं। इस पर उन्होंने मां को मृत समझकर अपने परिजनों को फोन कर इसकी जानकारी दी और अस्पताल के बाहर जाकर रोने लगे।

इस दौरान आपातकालीन कक्ष में ईएमओ डॉ. रोहित ग्रोवर, फार्मासिस्ट गोपाल सिंह बिष्ट, कक्ष सहायक कमल शर्मा सीपीआर प्रक्रिया देकर महिला को बचाने में जुटे रहे। प्रयासों के बाद उन्होंने बुजुर्ग महिला की सांसें वापस लौटाईं।

इसके बाद उन्हें वार्ड में भर्ती किया गया, जहां पर उसका उपचार चल रहा है। बेटे प्रकाश चंद्र जोशी ने बताया कि सीपीआर देकर टीम ने उनकी मां को नया जीवन देकर उनकी खुशी लौटाई है। उन्होंने टीम की सराहना की। कहा कि चिकित्सक को इसलिए भगवान का रूप कहा जाता है।

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