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उत्तराखंड : विधायकों के कब्जे में PWD के गेस्ट हाउस! दादागिरी से खाली करा देते हैं कमरे

उत्तराखंड : विधायकों के कब्जे में PWD के गेस्ट हाउस! दादागिरी से खाली करा देते हैं कमरे

उत्तराखंड : विधायकों के कब्जे में PWD के गेस्ट हाउस! दादागिरी से खाली करा देते हैं कमरे पहाड़ समाचार editor

  • पहाड़ समाचार 

जनप्रतिनिधि वैसे तो जनता की सेवा और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए होते हैं। लेकिन, कुछ ऐसे भी हैं, जो मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी जिले के नौगांव में सामने आया है। पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल इसको लेकर चर्चाओं में हैं।

दरअसल, 25 मार्च को यमुना वैली पब्लिक स्कूल नौगांव का वार्षिकोत्सव लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस के ग्राउंड में था। इसी गेस्ट हाउस में बाकायदा SDM के माध्यम से 25 और 26 मार्च की रात के लिए दो कमरे भी बुक कराए गए थे। यमुना वैली पब्लिक स्कूल के निदेशक शशि माहेन रावत ’रवांल्टा’ पांचजन्य जैसी प्रतिष्ठित संस्थान में भी आर्ट डायरेक्टर के पद पर हैं। यह जानकारी हाने के बाद भी विधायक ने एक कमरे की बुकिंग अधिकारियों पर दबाव बनाकर कैंसिल करवा दी।

सवाल यह है कि क्या लोक निर्माण विभाग के बंगले और उनके कमरे विधायकों के लिए बनाए गए हैं? मान भी लेते हैं कि विधायक उन कमरों में रह सकते हैं। लेकिन, क्या यह सही है कि विधायक अपने नाम पर वहां किसी के भी ठहरा दें? ऐसी ही यमुना घाटी के अन्य गेस्ट हाउस की स्थिति भी है। इन गेस्ट हाउसों में विधायकों के नाम पर उनके चाहने वालों का कब्जा रहता है।

नियमानुसार गेस्ट हाउसों के कमरे राज्य के अतिथि, मंत्रियों और उच्चाधिकारियों के लिए हैं। लेकिन, जब भी किसी गेस्ट हाउस के बारे में जानकारी मांगी जाती है। यह जवाब मिलता है कि कमरे फलां विधायक के लिए रिजर्व रखे गए हैं। सरकार को यह तय करना है कि क्या यह सही है?

एक और बड़ी बात यह भी सामने आई है कि अगर आपको किसी माध्यम से कमरा मिल भी गया तो विधायक के आने या उनके चहेतों के आने पर कमरा आपको खाली करना होगा, चाहे आधी रात ही क्यों ना हो, क्या यह मनमानी और दादागिरी नहीं है? इससे सरकार की छवि को भी धक्का लगता है। ऐसा पहले भी हो चुका है कि विधायक किसी भी वक्त आकर कमरा खाली करा लें। इसे क्या कहा जाए?

इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। यमुना वैली पब्लिक स्कूल के निदेशक शशि मोहन रावत ने कहा कि यह ठीक नहीं है। बताया गया कि जिस कमरे को खाली कराया गया। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी के लिए बुक कराया गया था। ऐन मौके पर आयोजकों दूसरी व्यवस्था करनी पड़ी। जबकि, एसडीएम ने बाकायदा अनुमति जारी की थी।

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